मुकेश अवस्थी होशंगाबाद/सोहागपुर.
देश की आजादी के लिए कई नाम ऐसे भी है जिन्होने खुद को देश के लिये न्योछावर तक कर दिया तो किसी ने अपना पूरा जीवन ही देश के लिए लगा दिया था, स्वतंञताद आंदोलन के लिए कई बार जेल गए, बार बार जेल जाते रहने से आधी उम्र जेल में निकल गई. घर परिवार भी नही बसा पाये. उन्ही आजादी के दीवानो में एक नाम सैयद मूसा अहमद का भी है. जिन्हे पंडित जवाहर लाल नेहरू सर कहा करते थे, तो लाल बहादुर शास्ञी जैये सुलझे हुए लोग उनसे सलाह मशविरा लिया करते थे. अब सैयद मूसा के नाम को भुला दिया गया है, कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही रहे सैयद मूसा को आजादी के बाद 1951 में पहली बार होशंगाबाद संसदीय सीट से सांसद चुना गया था. वह राज्य सभा में दो बार सदस्य मनोनीत भी किये गए.
सैयद मूसा अहमद जो कि होंशगाबाद जिले की सोहागपुर तहसील के ग्राम पामली में 21 अगस्त 1895 को जिनका जनम माल गुजार परिवर में हुआ, गुलाम भारत में जन्म लेने के बाद से आजादी के स्वतंञताद आंदोलन में कूदे और कई बार जेल गए, महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ कई आंदोलन में सहभागी रहे, उम्र में पंडित नेहरू के समतुल्य होने के बाद भी नेहरू उन्हे सर कहा करते थे. जब आजादी मिली तो नेहरू ने पहले मंञिमंडल में उन्हे मंञी बनाने की पेशकश भी की, लेकिन उन्होने मना कर दिया. वकालात उनका शौक और पेशा दोनो था, जिसके चलते वह होशंगाबाद में रहकर वकालात करने लगे, बंटवारे के बाद देश में हुये पहले आम चुनाव में वर्ष 1951 में कांग्रेस ने उन्हे टिकिट दिया ओर वे होशंगाबाद संसदीय सीट से प्रथम सांसद चुने गए. लेकिन हरि विष्णु कामथ द्वारा हाइकोर्ट में चुनाव को लेकर अपील जीतने के बाद उन्हे एक साल बाद ही लोकसभा सांसद पद से हटना पडा, जिसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हे राज्य सभा सांसद बना दिया था. उनकी नजदीकियां तत्कालीन प्रधानमंञी पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्ञी के साथ जग जाहरि रही, कहा जाता है कि उन दिनो उनके पास दिल्ली में होने वाली बैठको के लिए तार आया करते थे तो लाल बहादुर शास्ञी उनमें देश के बडे बडे फेसलो और देश हित में लेने वाले निर्णयो को लेकर सलाह मशविरा लिया करते थे.
सैयद मूसा का जीवन स्वतंञता आंदोलन में व्यतीत होने के चलते वह उम्र भर अविवाहित रहे आए, उन्होने अपना जीवन होशंगाबाद के बालागंज में एक घर में अपने जूनियर वकीलो के सहारे अकेले रहकर व्यतीत किया, सैयद मूसा के भतीजे 86 वर्षीय सैयद इलियास के पास आज भी पंडित जवाहरल लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्ञी के पञ मौजूद है जो सैयद मूसा के पास आते थे. वृदध हो चुके इलियास ने चर्चा में बताया कि सैयद मूसा का आजादी के साथ साथ क्षेञ के विकास में अहम योगादान है जो कभी भुलाया नही जा सकता लेकिन लेकिन वर्तमान राजनैतिक लोग आजादी के दीवाने को भूल गए है , जबकि इंदिरा गांधी जब होशंगाबाद आई तो उन्होन सैयद मूसा का दिल्ली में रहने सहित राज्यपाल बनाने आदि को कहा लेकिन सिदधांतवादी सैयद मूसा ने इंदिरा गांधी को मना कर दिया था.
बता दें कि होशंगाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी की टिकिट से जीत कर संसद भवन पहुंचे सांसद राव उदय प्रताप ने सैयद मूसा की याद में स्मारक बनाने आदि की घोषणा की थी लेकिन बात आई गई हो गई. सैयद मूसा का योगदान होशंगाबाद जिले में सतपुडा टाइगर रिजर्व के गठन में रहा है उन्ही के प्रयासो से सतपुडा टाइगर रिजर्व बनाया गया था जिसकी फाउन्डीग कमेटी के सैयद मूसा चेयरमेन थे, जिनकी अध्यक्षता में ही सतपुडा टाइगर रिजर्व बनाया गया था. लेकिन समय के चलते अब स्वञंतता संग्राम सैनानी सैयद मूसा को खुद कांग्रेस पार्टी ही भूल गई है, उनकी पुण्यतिथि पर उनके जूनियर वकील ही स्मरण करते है. अब कांग्रेस पार्टी सहित क्षेञ के लोग भी उनके नाम को पीछे छोड गए है, सैयद मूसा के भतीजे बयोवृदध सैयद इलियास द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित देश के बडे नेताओ को पञ लिखा, लेकिन कांग्रेस के फाउन्डर मेंमर रहे मूसा वकील को किसी ने याद नही किया. इलियास का कहना है प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कमल नाथ से उन्हे उम्मीद है कि सैयद मूसा की स्मरण को बनाए रखने के लिए सरकार जरूर कोई प्रयास करेगी.
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