विधानसभा सचिव को हटाया,कई और हटेंगे -पूर्व स्पीकर के खिलाफ हो सकती है एफआईआर

रवीन्द्र जैन
भोपाल। मप्र विधानसभा के पूर्व स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा के लोगों पर गाज गिरना शुरू हो गई है। स्पीकर के पद से हटने से पहले डॉ. शर्मा ने जिस रिटायर डिस्ट्रिक जज शशिकांत चौबे को विधानसभा सचिव बनाया था, उन्हें एक महीने के अंदर हटा दिया गया है। विधानसभा सचिवालय में संविदा पर रखे गए कई कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दे दिए गये हैं। इसके अलावा डॉ. शर्मा के कार्यकाल में हुई नियम विरुद्ध नियुक्तियों एवं डिजिटलाईजेशन के करोड़ों के काम में हुए घपले की जानकारी जुटाई जा रही है। खबर है कि कांग्रेस सरकार पूर्व स्पीकर शर्मा के खिलाफ एफआईआर करा सकती है। डॉ.शर्मा अपने कार्यकाल में ऐसे ही मामलों में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर करा चुके हैं।
मंगलवार को नए स्पीकर के चयन के साथ ही विधानसभा सचिवालय का माहौल भी बदल गया है। वे कर्मचारी और अधिकारी राहत महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने डॉ. शर्मा के समय हुई नियुक्तियों को लेकर विरोध दर्ज कराया तो डॉ. शर्मा ने इनकी आवाज दबाने निलंबन और रिटायरमेंट की धमकियां शुरू की थीं। कुछ अधिकारियों से महत्वपूर्ण विभाग भी छीने गए थे। अब यही कर्मचारी-अधिकारी खुलकर शर्मा के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं को नए अध्यक्ष तक पहुंचा रहे हैं। खास बात यह है कि इन अधिकारियों-कर्मचारियों को पूर्व डिप्टी स्पीकर डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह का संरक्षण मिला हुआ है। जिन्होंने डॉ. शर्मा के कार्यकाल में हुईं नियुक्तियों को लेकर खुली बगावत की थी।
इन पर गाज
विधानसभा सचिवालय में सबसे पहली गाज शशिकांत चौबे पर गिरी हैं। नियुक्ति के एक महीने के अंदर ही उन्हें सचिव पद से हटाकर घर भेज दिया गया है। इसके बाद लंबे समय से संविदा पर जमे अपर सचिव पी एन विश्वकर्मा, उप सचिव श्यामलाल मैथिल को भी हटाने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. शर्मा के कार्यकाल में नियम विरुद्ध तरीके से अपर सचिव पद पर उप सचिव स्तर के अधिकारी वीरेन्द्र कुमार के संविलियन को भी रद्द करने की चर्चा है। बिजली विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाए गए सुधीर शर्मा भी वापिस भेजे जा सकते हैं। पूर्व स्पीकर डॉ. शर्मा के स्टाफ में पदस्थ एक अधिकारी की भतीजी को भी नियम विरुद्ध तरीके से रखा गया है। उसे भी हटाने की चर्चा है।
एफआईआर की तैयारी
सूत्रों के अनुसार पूर्व स्पीकर और उनके खास अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। दरअसल पूर्व स्पीकर ने डिजिटलाईजेशन का करोड़ों रुपए का ठेका नियम विरुद्ध तरीके से दिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ. गोविन्द सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत इस ठेके की जानकारी मांगी थी, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने उन्हें यह जानकारी नहीं दी। डॉ. गोविन्द सिंह अब संसदीय कार्य मंत्री बन चुके हैं और यह सबसे पहले यह ठेका उनके निशाने पर है। इसके अलावा डॉ. शर्मा के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों का मामला भी एफआईआर का विषय होगा। दरअसल डॉ. शर्मा ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर कराकर उन्हें लगभग चार घंटे जहांगीराबाद थाने में पूछताछ के लिए बिठवाया था। दिग्विजय सिंह अपने जीवन में इस अपमान को भूले नहीं हैं। वे डॉ. शर्मा को सबक सिखाना चाहते हैं।

साभार रविंद्र जैन संपादक अग्निवाण लिख देना ऊपर

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