प्रकाश पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

राजू प्रजापति
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भोपाल। श्री गुरु गुरुगोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व आज गुरूद्वरा अरेरा कॉलोनी भोपाल में सुभाह 7 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक एवं रात का दीवान शाम 7 रात 11.30 बजे हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया।जिसमें विशेष रूप से रागी जत्था भाई जुझार सिंह हजूरी रागी, दरबार साहिब एवं कथा वाचक भाई हरजिंदर सिंह मांझी एवं कीर्तन हजूरी रागी जत्था भाई तिरलोक सिंह और मुख्य ग्रंथि भाई हरजीत सिंह ने अपने कीर्तन एवं गुरमीत विचारों से वीर रस का कीर्तन सांगत को निहाल कर दिया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु गुरु चरणों में माथा टेका एवं गुरु का अटूट लंगर बाटा गया। रविवार शाम को गटके का शानदार प्रदर्शन संत सिपाही अकादमी भोपाल द्वारा किया गया। जिसमें तलवार बाजी एवं अन्ये का आकर्षक प्रदर्शन किया गया।इस अवसर पर कथा वाचक ने साका सरहंद, साका चमकौर सुनाया।
श्री गुरुगोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना करी और पाँच प्यारे सजाये और जात पात के भेद भाव ख़तम कर दिया कहा – ”खालसा मेरो रूप है ख़ास, खालसे में मैं करूँ निवास।”
गुरु गोबिंद सिंह जी ने पांच प्यारो को अमृत धारण करवाया फिर खुद पाँच प्यारो से अमृत धारण किया। और कहा – “वाहो वाहो गुरुगोबिंद सिंह, आपे गुरु चेला।”
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म एवं देश की रक्षा के लिए, अपने पिता गुरु तेग़ बहादुर दिल्ली के चांदनी चौक में और अपने दो बड़े साहेब ज़ादें चमकौर की जंग में और दो छोटे साहिब ज़ादें उम्र 7 और 9 वर्ष को सरहंद के नवाब ने जिन्दा दीवारों मे चुनाव कर शहीद कर दिया। उन्होंने देश कौम की रक्षा के लिए अपना सर्वन्स दान कर दिया। और कहा – “चार मुहे (मरे) तो क्या हुआ जीवीत कई हजार।
हमे गुरु ग्रंथ साहिब जी को पढ़ना चाहिए और अपने जीवन में उतारना चाहिए और अपने जीवन को सफल करें।

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