माहवारी के दौरान घर में ही छुआछूत जैसा माहौल सहन करना पड़े

रतलाम. रतलाम की दिव्या पाटीदार जोशी ने मिसेज इंडिया-2018 का खिताब हासिल किया है। प्रतियोगिता पिछले दिनों मिसेज इंडिया माई आईडेंटिटी ब्यूटी पेजेंट 2018 के बैनर तले दिल्लीे में हुई थी। दिव्या ने 24 प्रतिभागियों को शिकस्त देकर यह मुकाम हासिल किया। पहले स्पर्धा में 3 हजार प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया था। दिव्या ने ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ के सभी राउंड में सफलता हासिल की। बेस्ट वाॅक का खिताब भी जीता। अब 2019 में विश्व स्तर की मिसेज यूनिवर्स स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। दिव्या के पिता वरदीचंद पाटीदार शिक्षक हैं व ससुर आरके जोशी रेलवे में है। पति नेवी में ऑफिसर है।
प्रतियोगिता में आपका प्लस प्वाइंट क्या रहा? : ऑडिशन से सिलेक्शन हुआ। फिर एक के बाद एक राउंड क्लियर होते गए। आखिर में 5 प्रतियोगी बचे जिनमें से मुझे खिताब मिला। मैं एनजीओ चलाती हूं, द ग्रोइंग इंडिया फाउंडेशन। महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में काम करती हूं, यही सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट रहा। बाल मजदूरों को शिक्षा की ओर प्रेरित करना व महिलाओं को माहवारी सहित अन्य अंधविश्वास से उबारना ही मेरा उद्देश्य है।

टर्निंग प्वाइंट वाला प्रश्न कौन-सा रहा? आपने कैसे हैंडल किया? : आईक्यू राउंड में पूछा ‘आपको एक कमरे में पूरे दिन के लिए छोड़ दिया जाए। मोबाइल हो ना कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तो क्या करेंगी। मेरा जवाब था गायन मेरा शौक है। ‘मैं पूरा दिन गाऊंगी, मेडिटेशन करूंगी, उस दिन को एंजॉय करूंगी क्योंकि वह सिर्फ मेरा होगा’जज ने कहा चार लाइन सुनाइए- मैंने शिवजी का भजन ‘तीन शब्द में दृष्टि सारी, सृष्टि सारी समाएं…’ भजन सुना दिया। इसे पसंद किया।

माहवारी को लेकर कई भ्रांतियां हैं। इन्हें दूर कराने के लिए कैसे काम करती हैं? : मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में कई राउंड होते हैं। इसमें प्रजेंटेशन राउंड (यानी महिलाओं के विकास के लिए क्या प्रोजेक्ट लेकर आए, में मैं यही प्रोजेक्ट लेकर गई थीं। माहवारी से जुड़ी कई भ्रांतियां व कुप्रथाएं हैं। मैंने इस पर रिसर्च की है। पीएचडी में मेरा सब्जेक्ट म्यूजिक थैरेपी ड्यूरिंग मेंस्ट्रूशनल स्ट्रेस था। हमने सर्वे करवाया तो पता चला कि कोई औरत नहीं चाहती उसे घर में छूआछूत जैसा माहौल सहन करना पड़े। पुरुष भी चाहते हैं कि महिलाओं को ऐसा नहीं करना पड़े, यह नेचुरल है।

चाहता तो कोई नहीं फिर भी यह होता। माहवारी में छूआछूत को दूर करने के लिए क्या करेंगी? : हां यह सही है। मैं ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाऊंगी। मिसेज इंडिया का पेजेंट इसीलिए ही है कि हम समाज के लिए क्या अच्छा कर सकते हैं। आम इंसान की जगह एक सेलेब्रिटी अच्छा संदेश दे सकती है क्योंकि लोग उसे सुनते हैं, मानते हैं। यह क्राउन मुझे मौका देगा। स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता का संदेश देंगे।

कॅरियर व परिवार में सामंजस्य कैसे बैठाती हैं? : परिवार ने हमेशा साथ दिया। बेटा प्रतियोगिता में मेरे साथ था, उसे परिवार ने संभाला। मुझे आर्मी जैसी ट्रेनिंग फेस करनी होती थी। पति नेवी में हैं। उनसे अंडरस्टेंडिंग है। मैं नहीं चाहती कि वे देशसेवा छोड़कर सिर्फ मेरे साथ रहें। वे अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं। मैं समाज के लिए कुछ करने की कोशिश कर रही हूं।

ब्यूटी विद ब्रेन… कहते हैं ऐसी लड़कियां खतरनाक होती हैं। खूबसूरती के मायने क्या है? : (मुस्कुराते हुए) मैं खुश मिजाज हूं। मजाक-मस्ती… मेरे नेचर में है। खूबसूरती आंतरिक रिफ्लेक्शन है जो आपके बाहरी सौंदर्य को प्रदर्शित करता है। सुंदरता सिर्फ बाहरी चीज नहीं है।

मी-टू कैंपेन को आप कैसे देखती हैं, क्या आपको भी फेस करना पड़ा? : मी-टू एक अलग लेवल है। मुझे फेस नहीं करना पड़ा। शोषण को लेकर महिलाएं खुल कर बोल रही हैं उन्हें आगे आना चाहिए।

मॉडलिंग से जुड़ी महिलाएं मां बनने से परहेज करती हैं। वे मानती हैं कॅरियर खत्म होगा? : मेरी ऐसी सोच नहीं। शादी को पांच साल हुए हैं। हम दोनों ने एक-दूसरे को समय दिया। एक बेटा भी है। मिसेज इंडिया का खिताब उन्हीं के लिए हैं जो पूरे परिवार को साथ लेकर चलती हों।

देश के प्रतिनिधित्व में आपकी क्या तैयारी है ? : बिल्कुल, देश का प्रतिनिधित्व करना बड़ी बात है। इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है। अभी ट्रेनिंग व ग्रुमिंग चल रही है।

आखिरी सवाल पाटीदार से जोशी कैसे बनीं? : हमारी शादी लव कम अरेंज हैं। मैं और प्रयास स्कूल टाइम से एक-दूरसे को जानते थे। कॉलेज में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। गर्ल्स कॉलेज में एनएसएस में मप्र का प्रतिनिधित्व किया था। कॉलेज के वक्त प्रयास विदेश चले गए। उस वक्त भी हमारी बातचीत होती रही। एक दिन प्रयास ने प्रपोज किया… मैंने हां की। फिर हमारे परिवार मिले और 5 साल पहले शादी हो गई।

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