नवलोक समाचार , रायपुर। हमारे देश मे कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी चुनकर आते है जिनकी जनता के बीच तो अच्छी पैठ है लेकिन वह बदकिस्मत से अशिक्षित है। वैसे तो भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। यहां लोकतंत्र के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। आज छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कैबिनेट का विस्तार हुआ। इस दौरान सभी विधायकों ने हिंदी में शपथ ली मगर कोंटा के विधायक कवासी लखमा अपना शपथ नहीं पढ़ पाए, उनकी शपथ राज्यपाल ने पूरी कराई।
मंच पर जब कवासी लखमा का नाम पुकारा गया तब वह शपथ ग्रहण करने के लिए आए मगर औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल करने के कारण वह खुद शपथ नहीं पढ़ सके। जिसके बाद छत्तीसगढ़ का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पूरी शपथ पढ़ी। लखमा इस दौरान राज्यपाल के पीछे-पीछे शपथ दोहराते नजर आए।
विधायक से पहले बने सर्वश्रेष्ठ सरपंच
कवासी लखमा का जन्म साल 1953 में सुकमा जिले के नागारास गांव में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम कवासी बुधरी है और उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। अनुसूचित जाति से आने वाले लखमा राज्य के गठन के बाद से ही लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। वह बस्तर की कोंटा सीट से विधायक है। विपक्ष में रहते हुए वह उप नेता विपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं।
लखमा ने औपचारिक शिक्षा भले ही नहीं हासिल की हो मगर इसके बावजूद वह न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। मूल रूप से किसानी का काम करने वाले लखमा को आदिवासी पारंपरिक नृत्य में भी महारथ हासिल है।
पहले भी दिख चुके है ऐसे नजारे
इससे पहले 2015 में बिहार में महागठबंधन की सरकार के गठन के दौरान लालू के लाल तेजप्रताप यादव भी अपनी शपथ ठीक ढंग से नहीं पढ़ पाए थे। तेजप्रताप उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, शपथ के दौरान वह अपेक्षा को उपेक्षा पढ़ गए जिस पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने दोबारा शुरू से शपथ पढ़ने को कहा था।
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