रायपुर. छत्तीसगढ़ में मंगलवार को नौ मंत्रियों ने शपथ ली। कवासी लखमा, शिव डहरिया, उमेश पटेल, जयसिंह अग्रवाल, गुरु रुद्र कुमार और अनिला भेड़िया को पहली बार मंत्री बनाया गया है। इनके अलावा मो. अकबर, प्रेमसाय सिंह टेकाम और रविंद्र चौबे ने भी शपथ ली। इससे पहले 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने भी शपथ ली थी। इसके साथ ही अब कैबिनेट में कुल 12 मंत्री हो गए हैं। राज्य में मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री हो सकते हैं। इस तरह एक पद अभी खाली है।
3-3 मंत्री सामान्य और आदिवासी वर्ग से, 2 दलित, 1 अल्पसंख्यक
मंत्री विधानसभा सीट वर्ग
भूपेश बघेल पाटन पिछड़ा
ताम्रध्वज साहू दुर्ग पिछड़ा
उमेश पटेल खरसिया पिछड़ा
रविंद्र चौबे साजा ब्राह्मण
जयसिंह अग्रवाल कोरबा वैश्य
टीएस सिंहदेव अंबिकापुर ठाकुर
कवासी लखमा कोंटा आदिवासी
अनिला भेड़िया डोंडी लोहारा आदिवासी
प्रेमसाय सिंह टेकाम प्रतापपुर आदिवासी
शिव डहरिया आरंग दलित
गुरु रुद्र कुमार अहिवारा दलित
मो. अकबर कबीरधाम अल्पसंख्यक
उमेश बने मंत्री, झीरमघाटी हमले में मारे गए थे पिता
35 साल के उमेश पटेल सबसे युवा मंत्री हैं। उनके पिता नंदकुमार पटेल 2013 के झीरमघाटी हमले में मारे गए थे। 69 साल के ताम्रध्वज साहू सबसे बुजुर्ग मंत्री हैं। 57 साल के बघेल कैबिनेट की औसत उम्र भी 57 साल है।
सभी मंत्री करोड़पति
भूपेश बघेल समेत सभी 12 मंत्री करोड़पति हैं। सबसे युवा मंत्री उमेश पटेल के पास सबसे कम 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। टीएस सिंहदेव सबसे अमीर मंत्री हैं। उनके पास 500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
12 मंत्रियों में से 7 ग्रेजुएट
शिक्षा कितने मंत्री
ग्रेजुएट 7
पोस्ट ग्रेजुएट 3
बारहवीं 2
महंत बनेंगे विधानसभा अध्यक्ष
वोरा बन सकते हैं उपाध्यक्ष : सक्ती से विधायक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे। जबकि, दुर्ग शहर से चुने गए वरिष्ठ विधायक अरुण वोरा को उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। वोरा तीसरी बार विधायक चुने गए हैं।
अमरजीत के हाथों पीसीसी की कमान : भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब पीसीसी की कमान आदिवासी नेता को देने की तैयारी है। मंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे अमरजीत भगत को पीसीसी अध्यक्ष बनाया जा रहा है। वे आक्रामक शैली की राजनीति के लिए जाने जाते हैं।
पहली बार के विधायकों को मौका नहीं : कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा कि पहली बार के विधायकों को मौका नहीं दिया गया है। नए कैबिनेट में प्रदेश के सभी क्षेत्रों, जाति और वर्गों का समावेश है। साथ ही अनुभव को भी तरजीह दी गई है।