110 किमी की रफ्तार में थी ट्रेन, खारखेड़ी के पास हल्का टर्न लिया तो गेट के पास खड़ी छात्रा झटके से बाहर जा गिरी, मौत

भोपाल . जयपुर-हैदराबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस की एस-3 बोगी के दरवाजे से गिरकर बीए सेकंड इयर की छात्रा की मौत हो गई। बाथरूम जाने के बाद ट्रेन के दरवाजे के पास खड़ी थी। उस वक्त ट्रेन हल्के मोड़ पर थी।
एक्सपर्ट मानते हैं कि करीब 110 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार होने के कारण मोड़ पर अभिकेंद्रीय बल लगा होगा। तेज हवा के थपेड़े की चपेट में आकर छात्रा चलती ट्रेन से अप-डाउन ट्रैक के बीच में जा गिरी और उसकी मौत हो गई। वह पाली में एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने परिवार के साथ जा रही थी।

मूलत: राजस्थान के ग्राम कुशलपुरा, पाली निवासी अब्बाराम चौधरी सराफा कारोबारी हैं। करीब 35 साल से वे पत्नी गीता देवी, 21 वर्षीय बेटी ललिता और दो बेटों राकेश व राजेश के साथ हैदराबाद के संगारेड्‌डी में रहते हैं। ललिता बीए सेकंड इयर की छात्रा है। पाली में उनके एक रिश्तेदार की शादी होनी है।

इसके लिए 8 दिसंबर को वे पत्नी, बेटी व अन्य रिश्तेदारों के साथ पाली जाने के लिए जयपुर-हैदराबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस की एस-3 बोगी में सवार हुए। 9 दिसंबर को दोपहर 03:13 बजे ट्रेन बैरागढ़ स्टेशन पहुंची। दो मिनट यहां रुककर ट्रेन आगे बढ़ी। अब्बा राम ने बताया कि इस बीच ललिता बाथरूम जाने का कहकर बर्थ से उठी। पीछे-पीछे मां भी गई। बाथरूम से निकलकर ललिता दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई। खारखेड़ी के पास अचानक वह चलती ट्रेन से बाहर जा गिरी।

चेन-पुलिंग कर रुकवाई ट्रेन : अब्बा राम के मुताबिक बेटी के गिरने का पता चलते ही उन्होंने चेन पुलिंग कर ट्रेन रुकवाई। सभी दौड़कर दो किमी पीछे गए। हादसे की सूचना पर खजूरी सड़क पुलिस भी आ गई। एएसआई श्रीकांत द्विवेदी ने बताया कि ग्राम खारखेड़ी के पीछे से गुजरने वाली लाइन पर ललिता का क्षतिग्रस्त शव अप-डाउन ट्रैक के बीच में पड़ा मिला। यहां ट्रेन हल्का मोड़ लेती है। जब हादसा हुआ, तब ट्रेन की रफ्तार करीब 110 किमी प्रतिघंटा रही होगी।

ट्रेन के टर्न हाेने पर तेजी से अंदर की ओर आती है हवा, हो सकता है हादसा

ये हादसा संत हिरदाराम नगर स्टेशन से 15 किमी दूर हुआ है, यानी उस वक्त ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में थी। जैसा पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर ट्रेन हल्के टर्न पर थी। ऐसे में ट्रेन के गुजरने से उपजी हवा तेजी से खुले दरवाजे से अंदर की तरफ आती है। इस परिस्थिति में अभिकेंद्रीय बल उत्पन्न होता है, जो बगैर कोई सहारा लिए दरवाजे के पास खड़े व्यक्ति को बाहर की ओर ढकेल सकता है। ललिता के साथ हुआ हादसा भी ऐसी ही परिस्थिति में हुआ होगा। इसलिए रेलवे बोर्ड चलती ट्रेन में दरवाजे के पास खड़े न होने की सलाह देता है। – सीएस शर्मा, रेलवे एक्सपर्ट

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