भोपाल. मध्यप्रदेश में 230 सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। ताजा रुझानों में भाजपा 111 और कांग्रेस 108 सीटों पर आगे चल रही हैं। भाजपा को मालवा-निमाड़, विंध्य, महाकौशल में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। पिछले 13 साल से शिवराज सिंह चौहान सत्ता में हैं। उधर, 15 साल बाद कांग्रेस राज्य में वापसी का इंतजार कर रही है। शिवराज ने दावा किया था कि वे सबसे बड़े सर्वेयर हैं और वे जानते हैं कि भाजपा ही जीतेगी। वहीं, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि उनकी पार्टी 230 में से 132 सीटें जीतेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को कांग्रेस के 140 सीटें जीतने का भरोसा है। राज्य के 8 एग्जिट पोल्स में से 5 सर्वे में कांग्रेस को आगे दिखाया गया था।
अपडेट्स
पांच राउंड की मतगणना के बाद बुधनी सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज 10 हजार से ज्यादा वोटों से आगे चल रहे हैं।
ताजा रुझानों में इंदौर-3 सीट से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश और इंदौर-4 सीट से भाजपा प्रत्याशी मालिनी गौड़ आगे चल रही हैं।
दतिया से भाजपा के मंत्री नरोत्तम मिश्रा चौथे राउंड के बाद 5 हजार से ज्यादा वोटों से पीछे चल रहे हैं।
भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर आगे चल रही हैं।
भोपाल की दक्षिण-पश्चिम सीट पर मंत्री उमाशंकर गुप्ता आगे चल रह हैं।
सिंगरौली सीट पर आम आदमी पार्टी आगे चल रही है।
भोपाल की हुजूर सीट पर भाजपा के रामेश्वर शर्मा पीछे चल रहे हैं।
शिवपुरी सीट से भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया आगे चल रही हैं।
बालाघाट से भाजपा के मंत्री गौरीशंकर बिसेन आगे चल रहे हैं।
वारासिवनी सीट से सीएम शिवराज के साले संजय सिंह तीसरे नंबर पर चल रहे हैं।
राजपुर सीट से सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन पीछे चल रहे हैं। कांग्रेस से बगावत कर सपा से चुनाव लड़ा था।
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- चुनावों में हमसे गलती हुई। कांग्रेस का हमने हल्के में लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी देश के सबसे बड़े नेता हैं। कांग्रेस की जीत को राहुल गांधी का मैजिक नहीं कहा जा सकता।
मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतगणना के दौरान 11 ईवीएम खराब हुईं। इन पर बाद में फैसला लिया जाएगा।
भाजपा के बागी रामकृष्ण कुसमरिया ने दमोह-पथरिया से चुनाव लड़ा था, दोनों सीटों से पीछे चल रहे हैं।
शिक्षा मंत्री दीपक जोशी और वित्त जयंत मलैया पीछे चल रहे हैं।
इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ था राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर इस बार 75% मतदान हुआ था। राज्य में 61 साल में यह रिकॉर्ड वोटिंग पर्सेंट था। साथ ही, यह 2013 के चुनाव परिणाम से (72.18%) से 2.82 फीसदी ज्यादा रहा। मध्यप्रदेश के 11 जिले ऐसे हैं, जहां पिछली बार के मुकाबले तीन फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई। इन 11 जिलों में कुल 47 सीटें हैं। इनमें से भाजपा के पास पिछली बार 37 और कांग्रेस के पास 9 सीटें थीं।
नजर मालवा-निमाड़ पर : यहां की 29 सीटों पर ज्यादा वोटिंग हुई ज्यादा वोटिंग वाले 11 जिलों में से 6 जिले मालवा-निमाड़ के हैं। इनमें इंदौर, रतलाम, धार, झाबुआ, आलीराजपुर और नीमच शामिल है। इन जिलों में 29 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 25 सीटों पर पिछली बार भाजपा जीती थी और कांग्रेस के पास महज 3 सीटें थीं। राज्य में 2016 में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर भी मालवा-निमाड़ में ही था।
शिवराज मप्र में सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले नेता
मप्र में भाजपा ने 2003, 2008 और 2013 का चुनाव जीता। शिवराज सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले राज्य के इकलौते और देशभर में भाजपा के दूसरे नेता हैं। मप्र में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह 10 साल सीएम रहे। भाजपा के मुख्यमंत्रियों के लिहाज से देश में सिर्फ छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह उनसे आगे हैं।

भाजपा राज्य में लगातार 15 साल सरकार चलने वाली पहली पार्टी है। 1956 में अलग राज्य बनने के 11 साल बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। लेकिन सिर्फ चार महीने बाद ही पार्टी में टूट के कारण उसे दो साल तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा था।
भाजपा युग : अब तक तीन मुख्यमंत्री बदले गए
2003 में उमा भारती के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में भाजपा ने 10 साल से मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सत्ता से बेदखल कर दिया। भाजपा के 15 साल में उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह सीएम रहे।
कांग्रेस युग : पार्टी ने 10 मुख्यमंत्री दिए
कांग्रेस ने 32 साल के शासन में 10 मुख्यमंत्री दिए, जिन्होंने 19 बार पद संभाला। कांग्रेस के सिर्फ दो मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू और दिग्विजय सिंह टर्म पूरा कर सके। दिग्विजय ने दो कार्यकाल पूरे किए।
3 मुद्दों की वजह से चर्चा में रहा चुनाव
व्यापमं घोटाला : इसे लेकर शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे।
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