मतगणना में वेबकास्टिंग नहीं होगी सिर्फ सीसीटीवी कैमरों से नजर रखेंगे

भोपाल . मतगणना के समय न वेबकास्टिंग होगी और न ही मतगणना हॉल में वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग होगा। सिर्फ सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी। चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति के बाद रविवार देर रात यह निर्णय लिया।
कांग्रेस ने वेबकास्टिंग में जियो की जगह बीएसएनएल नेटवर्क का उपयोग करने की मांग की थी। साथ ही इस बात पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी कि वेबकास्टिंग के काम का ठेका गुजरात की कंपनी संघवी इन्फोटेक को क्यों दिया गया। इस कंपनी के इंजीनियर्स जब भोपाल और सागर में स्ट्रांग रूम के बाहर मतगणना केंद्रों पर वेबकास्टिंग के लिए कैमरे इंस्टाॅल करने पहुंचे थे तो कांग्रेसियों ने उनका नाम पूछा। एक ने अपना नाम अमरत भारवाड़ निवासी गुजरात बताया, इस पर कांग्रेसी बिफर गए और जमकर हंगामा कर दिया।

उनका कहना है कि भारत निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश का जब अपना डोमेन (प्लेटफाॅर्म) है तो आयोग ने मतगणना की जानकारी देने का काम निजी कंपनी को क्यों दिया। इस कंपनी ने अलग से अपना डोमेन रजिस्टर्ड क्यों करवाया।

कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल निर्वाचन सदन पहुंचा और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) मध्यप्रदेश को आपत्ति दर्ज कराई। पहले तो सीईओ ने कांग्रेस की इस आपत्ति को खारिज कर दिया, लेकिन बाद में विवाद की स्थिति बनते देख इस मामले में चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा था और देर रात वेबकास्टिंग न कराने का निर्णय लिया।

क्या है वेबकास्टिंग : वेबकास्टिंग में एक वीडियो कैमरा मतगणना केंद्र में उस स्थान पर लगाया जाता है, जहां से पूरे केंद्र की गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके। यह कैमरा सेंट्रलाइज्ड सर्वर से जुड़ा रहता है, जिसकी मदद से यहां की गतिविधियों का सीधा प्रसारण भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग के अफसर देखते हैं।

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