एलन मस्क की कंपनी ने एकसाथ 64 सैटेलाइट लॉन्च किए, रूस को पीछे छोड़ा

वॉशिंगटन. एलन मस्क की कंपनी स्पेस-एक्स ने सोमवार को कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग एयरफोर्स बेस से एकसाथ 64 सैटेलाइट लॉन्च किए। सबसे ज्यादा उपग्रह प्रक्षेपित करने के मामले में अब वह भारत के बाद दूसरे स्थान पर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फरवरी 2017 में 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इससे पहले रूस 37 सैटेलाइट लॉन्च करके दूसरे स्थान पर था।
मस्क की कंपनी ने सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए अपने फॉल्कन-9 रॉकेट की मदद ली। यह इसकी तीसरी उड़ान थी। इसके जरिए स्पेस-एक्स ने अपनी बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली रॉकेट तकनीक की मजबूती भी परखी है। फॉल्कन-9 अमेरिकी समयानुसार सुबह करीब 10:34 बजे लॉन्च किया गया। इसमें सरकारी एजेंसियों के अलावा 34 अलग-अलग कंपनियों और यूनिवर्सिटीज के सैटेलाइट थे। स्पेसएक्स ने इस मिशन को अब तक का सबसे कठिन और पेचीदा मिशन बताया। लॉन्च हुईं सभी सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगी।

उल्कापिंड बेनू तक पहुंचा नासा का स्पेसक्राफ्ट
नासा का बेनू स्पेसक्राफ्ट ओसायरिस-एक्स दो साल में 2 अरब किलोमीटर लंबा सफर पूरा कर सोमवार को बेनू उल्कापिंड के पास पहुंचा। नासा के मुताबिक, 31 दिसंबर को ओसायरिस बेनू की कक्षा में पहुंच जाएगा। इससे पहले कोई भी स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में मौजूद इतनी छोटे पिंड की परिक्रमा नहीं कर पाया है। अगले कुछ सालों में ओसायरिस उल्का पर उतर कर उसके कुछ कण इकट्ठा करेगा। इसके बाद 2023 में स्पेसक्राफ्ट की वापसी होगी।
मस्क की कंपनी ने सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए अपने फॉल्कन-9 रॉकेट की मदद ली। यह इसकी तीसरी उड़ान थी। इसके जरिए स्पेस-एक्स ने अपनी बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली रॉकेट तकनीक की मजबूती भी परखी है। फॉल्कन-9 अमेरिकी समयानुसार सुबह करीब 10:34 बजे लॉन्च किया गया। इसमें सरकारी एजेंसियों के अलावा 34 अलग-अलग कंपनियों और यूनिवर्सिटीज के सैटेलाइट थे। स्पेसएक्स ने इस मिशन को अब तक का सबसे कठिन और पेचीदा मिशन बताया। लॉन्च हुईं सभी सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगी।

उल्कापिंड बेनू तक पहुंचा नासा का स्पेसक्राफ्ट
नासा का बेनू स्पेसक्राफ्ट ओसायरिस-एक्स दो साल में 2 अरब किलोमीटर लंबा सफर पूरा कर सोमवार को बेनू उल्कापिंड के पास पहुंचा। नासा के मुताबिक, 31 दिसंबर को ओसायरिस बेनू की कक्षा में पहुंच जाएगा। इससे पहले कोई भी स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में मौजूद इतनी छोटे पिंड की परिक्रमा नहीं कर पाया है। अगले कुछ सालों में ओसायरिस उल्का पर उतर कर उसके कुछ कण इकट्ठा करेगा। इसके बाद 2023 में स्पेसक्राफ्ट की वापसी होगी।

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