मुख्य निर्वाचन अधिकारी जहां वोट डालने पहुंचे, वहीं खराब हुई मशीन

भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा की 230 सीटों पर बुधवार को मतदान जारी है। राज्य में 2 बजे तक 34.9% मतदान हुआ। इस बीच भोपाल, होशंगाबाद, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर, खंडवा समेत 18 शहरों से 200 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में खराबी की शिकायतें मिली हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने कहा, “प्रदेश में 70 स्थानों पर ईवीएम में खराबी की वजह से मशीनें बदली गई हैं। करीब 100 केंद्रों पर मशीन खराब होने की शिकायतें आ रही हैं। इन्हें दुरुस्त कराया जाएगा।” कांताराव को खुद इस समस्या का सामना करना पड़ा। वे भोपाल के चार इमली बूथ पर वोट डालने पहुंचे, तो उसकी ईवीएम खराब थी। उन्हें वोट डालने के लिए 20 मिनट इंतजार करना पड़ा। ईवीएम बदलने के बाद ही वे वोट डाल पाए।

भोपाल में 15, होशंगाबाद में 20, रीवा में 20, ग्वालियर में 25, जबलपुर में 15, खंडवा में 46, बुरहानपुर में 15, खरगोन में 3, बड़वानी में 6, इंदौर में 17, शाजापुर में 2, उज्जैन में 6, देवास में 12, आगर-मालवा में 3, रतलाम में 15, झाबुआ में 5, मंदसौर में 2, आलीराजपुर में 9 ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में खराबी की शिकायतें मिली हैं।

शिवराज और कमलनाथ ने वोट डाला : इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पैतृक गांव जैत में वोट डाला। वोट डालने से पहले उन्होंने नर्मदा नदी और कुलदेवी के मंदिर में पूजा की। उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा के हनुमान मंदिर पहुंचे और पूजा की। मिजोरम की 40 सीटों पर भी मतदान जारी है। यहां 1 बजे तक 49% मतदान हुआ। परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।
मालवा-निमाड़, मध्यभारत की 105 सीटें अहम :

मध्यप्रदेश में भाजपा पिछले 15 सालों से सत्ता में है। कांग्रेस उसे कड़ी टक्कर दे सकती है। वजह मालवा-निमाड़ और मध्य भारत की 105 सीटें हैं। अगर यहां वोट स्विंग होता है, तो फिर नतीजे किसी भी तरफ पलट सकते हैं। लगातार तीन चुनावों से यहां बढ़त बनाकर भाजपा सरकार बनाती आ रही है। 2013 में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से भाजपा को 56 और कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं और अन्य के खाते में एक सीट गई थी। वहीं, मध्य भारत की 39 में से भाजपा को 32, कांग्रेस को छह और अन्य को एक सीट मिली थी।

मालवा-निमाड़ में बढ़त बनाकर उमा-शिवराज ने बनाई सरकार : 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ से 47 सीट जीतकर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस को 50% वोट मिले थे। भाजपा 44% वोट शेयर पाने के बाद भी 16 सीटें ही जीत पाई थी। इसी तरह 2003 में भाजपा ने 51 सीटें जीती थीं। उमा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और वे सीएम बनीं। कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को एंटीइंकम्बेंसी का सामना करना पड़ा था। पार्टी को सिर्फ 12 सीटें ही मिली थीं। 2008 में कांग्रेस को 24 सीटें जीतीं। वहीं, भाजपा के खाते में 41 सीटें गई थीं। भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब रही।

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