नाबालिक से दुराचार के मामले में आशाराम को आजीवन कारावास, दो अन्‍य को 20-20 साल की सजा का ऐलान

जोधपुर के एससी एसटी कोर्ट के न्‍यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने सुनाया फैसला, फैसले के लिये जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में ही अदालत लगाई गई।

जोधपुर। जोधपुर की अदालत ने कथावाचक आसाराम को नाबालिग से बलात्कार के मामले में आज दोषी करार देते हुये सजा का ऐलान कर दिया। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालत के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में यह फैसला सुनाते हुये आशाराम को आजीवन कारावास और दो अन्‍य को 20-20 साल की सजा सुनाई है। हम बता दें कि आशाराम वर्ष 2013 से  ही  नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद हैं। आसाराम के इस मामले में सर्मथकों की भारी भीड के चलते जोधपुर सेंट्रल जेल में ही अदालत लगाई गई थी। जैसे-जैसे फैसले की घड़ी नजदीक आ रही थी, आसाराम की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।

     जी हां देश के बहुचर्चित संत कहे जाने वाले आशाराम के खिलाफ आरोप तय होने के बाद जोधपुर सेंट्रल जेल में ही आज न्‍यायधीश मधुसूदन शर्मा अदालत लगवा कर पहले तो बचाव पक्ष ओर सरकारी वकील की दलीले सुनी उसके बाद फैसला सुनाते हुये दोषी पाये गए आशाराम को आजीवन करावास की सजा सुनाई। जानकारी के अनुसार जोधपुर सेंट्रल जेल में कैद यह कथावाचक बीती रात सो न सका। उसने खाना भी नहीं खाया। उसका खाना आश्रम से आता है, जिसे उसने खाने से इन्कार कर दिया। वह अपनी बैरक में यहां-वहां टहलता रहा। कुछ देर सुरक्षाकर्मियों से बात की। बुधवार सुबह चार बजे ही उठ गया और पूजा-पाठ किया, आरोपी के चेहरे पर भारी तनाव है। इसे देखते हुए जेल प्रशासन को आशंका जता रही है कि कहीं उसका स्वास्थ्य न बिगड़ जाए। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जेल के बाहर एंबुलेंस भी तैनात रखी थी ।

      बुधवार को आशाराम के फैसले को देखते हुये केंद्र सरकार के गृह मंञालय ने एडवाइजरी जारी करते हुये गुजरात, राजस्‍थान, और हरियाणा राज्‍यों में कडी सुरक्षा व्‍यवस्‍था करने के आदेश जारी किये थे। साथ ही अतिरिक्‍त बल भी तैनात किये जाने को राज्‍य सरकारों को कहा था जिसक चलते आशाराम समर्थक राज्‍यों में सुरक्षा व्‍यवस्‍था पुख्‍ता कर दी गई थी। वही राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशानुसार बुधवार को सुनवाई अदालत जोधपुर के केंद्रीय कारागार के परिसर में ही फैसला सुनाया गया।..   हम बता दें कि आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम (पोस्को) के तहत दोषी ठहराया गया है। वह यौन उत्पीड़न के दो मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे है।  एक मुकदमा यहां राजस्थान में चल रहा है, जबकि दूसरा गुजरात में चल रहा है। बहस के दौरान वकीलों ने आसाराम की अधिक उम्र का हवाला देने हुए उनके लिए कम सजा मांग की है। जोधपुर की कोर्ट ने सुरक्षा कारणों से सेंट्रल जेल परिसर में ही फैसला सुनाने का निर्णय किया था। कोर्ट ने आशाराम के अलावा सह आरो्रपी शरतचंद्र और शिल्पी को भी दोषी करार देते हुये 20-20 साल की सजा सुनाई है वही शिवा और प्रकाश को बरी कर दिया गया है। सजा सुनाये जाने के बाद आशाराम के वकील ने सजा को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कहते हुये कहा है कि हम न्‍याय के लिये सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा भी खटखटायेगें।

 

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