11 जुलाई को यदि हडताल हुई तो देश भर में मच जाएगा , हाहाकार
नवलोक समाचार।
भारतीय रेल को दौडाने वाले रेल कर्मीयों ने अपनी मांगों और मजदूर यूनियन की सिफारिशों को सरकार द्वारा सिरे से नकारे जाने के बाद हडताल कर रेल के पहिए रोकने की चुनौती दे दी है। यदि ऐसा हुआ तो मादी सरकार में हाहाकार मचने से कोई नही रोक सकता। रेलवे मजदूर यूनियनों की अलग अगल संगठनों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार ने कर्मचारियों के साथ अभी तक ठगी की है, 7वे केद्रीय वेतनमाल की सिफारिसे सरकार द्वारा सिफारिसो को सिरे से खारिज करते हुए, एम्पावर कमेटी के सुधारो को भी ठुकरा दिया है।
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर यूनियन ने कहा है कि सरकार ने रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई लाकर निजीकरण को बढावा दिया है और आम लोगो की सस्ती याञा पर भी हमाल किया है। यूनियन ने कहा है कि केंद्र की सरकार ने रेल्वे यूनियन की किसी भी बात को न मान कर अपमान किया है। 100 प्रतिशत एफडीआई को विरोध करते हुए युनियन ने कहा कि यदि रेल्वे में निजीकरण किया गया तो रेल का भाडा कई गुना बढ जाएगा, ,गरीब याञी ञाही ञाही करेगा, साथ ही रेल की संरंक्षा भी पर भी सीधा असर पडेगा। वही रेलवे से कई कर्मचारियों की छंटनी भी की जाएगी, निजीकरण से ठेकेदारों, बडे अधिकारियों औ नेताओं की ही जेबे भरेगी साथ ही रेलवे कर्मचारियों को अपमानित होकर काम करना होगा।
यूनियनों द्वारा घोशित ऐजेडे में कहा है कि रेल देश की धडकन है जिसका सीधा सबंध देश की उन्न्ित और सुरक्षा से है। रेल्वे जैसे विभाग को सरकार द्वारा अनुभवी मजदूरों के परामर्श से ही चलाना चाहिए, जल्दबाजी में लिए गए निणर्य देश के लिए घातक हो सकते है।
वेतन विसंग्ति भी
केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों के आधार पर न्यूनतम वेतन 26000 होता है, जिसकी मजदूर यूनियन मांग कर रहा है।वर्तमान मोदी सरकार ने इसे मानने से साफ मना कर दिया है। देश की रेल सेवा मिलिट्री सेवा जैसी ही आवश्यक है। अत मिलिट्री जैसे वन रेंक वन पेंशन जैसी व्यवस्था रेलवे में भी लागू कर एनपीएस को तत्काल बंद करने की मांग भी की गई थी। रेल्वे मजदूरो के लिए लडने वाले यूनियनों ने पिछले तीन सालों से मजदूरों की बात सरकार के सामने रखने के लिए प्रयास किए है लेकिन तज्ज्वों नही दी जा रही है।
वेस्ट सेट्रंल रेल्वे मजदूर यूनियन ने 29 जून को एम्पावर कमेटी द्वारा मजदूरों के हितों की बात केबिनेट के सामने रखने का प्रयास किया था लेकिन उसे सिरे से नकार दिया गया है। इन सभी मुददो को लेकर रेलवे मजदूर संगठन 11 जुलाई को अब सरकार के सामने आरपास की लडाई के पक्ष में है, कर्मचारी संगठन अब रेल्ा का पहिया ही जाम करने के मूड में आ गया हे। ऐसा हुआ तो देश के इतिहास में मोदी सरकार यादगार बन जाएगी। हडताल से ठीक पहले सभी यूनियनों ने आम याञीयों से अपील करते हुए कहा है कि लोग 11 जुलाई को याञा न करें।