होशंगाबाद जिले में सोहागपुर नगर के बीचों बीच से निकलने वाली पलकमती नदी , जिसका अस्तित्व अब से कुछ सालों पहले बना हुआ था।, समय के साथ और अनदेखी और लापरवाही के चलते नदी का अस्तित्व पिछले कुछ सालों से खत्म होता जा रहा था। जिसे बचाने के लिए महज चंद महिने में ही कुछ स्थानीय युवाओं ने शुरूआत की और आज नदी की हालत एक दम साफ नजर आने लगी लेकिन अब जरूरत है, तो सिर्फ प्राशनिक सर्जरी की जिसके दम पर पलकमति नदी में साल भर पानी भी के साथ साथ सौन्दर्य भी बना रहेगा।
होशंगाबाद जिले में युवाओं का जोश और जज्बा काम आया और जोश और जज्बे ने मिलकर पलकमति नदी के अस्तित्व को बचाने का बीडा उठा लिया। पूरे नगर भर के कचरे से सराबोर हो चुकी नदी में वैसे तो करीब एक दर्जन नाले और नालियों से कचरा और पानी आता है। जिसके बाद भी युवा जुटे और इन्हे नाम दिया गया पलकमति पुञ।
सुबह से ही होती है नदी की सफाई
नदी को बचाने और साफ रखने के लिए एक जुट हुए युवाओं ने यहां कई बार ब्ौठके आयाजित की लोगों को जागरूक किया , समाजिक संगठनों को आगे किया। जिसके बाद अब सुबक 6 बजे से ही युवा ही क्या छोटे बच्चे भी पलकमति को साफ करने के लिए आ जाते है। कभी मोदी विचार मंच के कार्यकर्ता तो कभी स्वर्णकार समाज तो कभी सेन समाज , साहू समाज के लोग तो कभी आरएसएस के संतोष सराठे के साथ रामजन्मोत्सव से जुडे लोग। नदी को बचाने के लिए दिन व दिन कांरवा बढता ही गया और अब नदी की एक दम साफ दिखाई देने लगी।
नदी को गहरी करण की भी जरूरत
पलकमति नदी यहां के सतपुडा के जंगलो से निकली है। पुराने लोग बताते है अब से कछु साल पहले इस नदी में कभी भी पानी नही सूखता था, लोग नदी के पानी में नहाना धोना ही नही घर में पीने के लिए भी उपयोग करते थे। लेकिन समय के और ग्लोबल वार्मि्ग के दौर में नदी ने खुद अपना अस्तित्व खो दिया था। नदी के यदि गहरा किया जाता है तो उसकी सतह में अब भी पानी है जानकारो का मानना है कि नदी को गहरा किया जाए तो पानी बहने लगेगा।
रेल्वे पुल के पास से हो सफाई
पलकमति को बचाने का सार्थक प्रयास युवाओं ने तो कर दिखाया लेकिन नगरीय निकाय और प्रदेश सरकार को अब जीवनरेखा मानी जाने वाली नदी के संरक्षण के लिए आगे आना होगा और नदी के संरक्ष्ाण कि कवायद रेल्वे पुल के पास से करना होगा। साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए नगर पालिका जैसी इकाई को भी कचरे को डंप कराने के लिए कोई और जगह तलाशना होगा।
एक युवा सोच ने जोड दिया हूजूम
नदी को बचाने की शुरूआत अब से करीब 6 महीने पहले ही स्थानीय युवा पञकार अमित बिल्लोरे ने की जिसके बाद कभी उनके साथ प्रशांत बसेडिया तो कभी नीलेश सोनी आगे आए अब हालात यह कि बिना बुलाए ही सुबह से युवाओं का आना शुरू हो जाता है।